राजस्थान राज्य के पूर्वी एवं दक्षिण पूर्वी जिले यथा भरतपुर, बारां, बून्दी, धौलपुर, झालावाड़, करौली, कोटा एवं सवाईमाधोपुर अपनी भौगोलिक विषमताओं, बीहड़ वनों एवं दस्युओं के आतंक के कारण डांग क्षेत्र के नाम से जाने जाते हैं। प्रदेश के डांग क्षेत्र के ये जिले जिसमें अन्य पिछडी जाति एवं अल्पसंख्यक लोग निवास करते हैं, राज्य के आर्थिक, सामाजिक एवं आधारभूत सुविधाओं की दृष्टि से भी अधिक पिछड़े हुए है।
डांग क्षेत्रीय विकास कार्यक्रम सर्वप्रथम वर्ष 1995- 96 से 2000- 01 तक राज्य के 8 दस्यु प्रभावित जिलों में चलाया गया। ये जिले निम्न है-
1. सवाई माधोपुर
2. करौली
3. कोटा
4. बून्दी
5. बारां
6. धौलपुर
7. भरतपुर
8. झालावाड़
यह कार्यक्रम इन जिलों की 21 पंचायत समितियों की 357 ग्राम पंचायतों में वर्ष 2001-02 तक संचालित किया जाता रहा किंतु वर्ष 2001-02 से वित्तीय प्रावधान समाप्त हो जाने से यह कार्यक्रम बन्द कर दिया गया। डांग क्षेत्र के सर्वागीण विकास को दृष्टिगत रखते हुये वर्ष 2004-05 के बजट में "डांग विकास परियोजना" को उक्त आठ जिलों में पुन: प्रारम्भ करने की घोषणा की गई।
योजना का उद्देश्य-
(i) दस्युओं से प्रभावित डांग क्षेत्र की आवश्यकता एवं क्षेत्र में जन आकांक्षाओं के अनुरूप आर्थिक, सामाजिक एवं आधारभूत सुविधाओं के विकास के कार्य स्वीकृत कर अतिरिक्त रोजगार के अवसर सृजित करना।
(ii) सामुदायिक परिसम्पत्तियों एवं अन्य आधारभूत भौतिक सम्पत्तियों का सृजन।
(iii) स्थानीय समुदाय को रोजगार की उपलब्धता एवं उनके जीवन स्तर में सुधार।
(iv) स्थानीय लोगों के परम्परागत कार्यों को विकसित करने एवं उनको जीवकोपार्जन के लिये संसाधन उपलब्ध कराना।
योजना शत-प्रतिशत राज्य वित्त पोषित है। योजना को आवश्यक होने पर अन्य योजनाओं के साथ डवटेलिंग किया जा सकता है।
(ii) सामुदायिक परिसम्पत्तियों एवं अन्य आधारभूत भौतिक सम्पत्तियों का सृजन।
(iii) स्थानीय समुदाय को रोजगार की उपलब्धता एवं उनके जीवन स्तर में सुधार।
(iv) स्थानीय लोगों के परम्परागत कार्यों को विकसित करने एवं उनको जीवकोपार्जन के लिये संसाधन उपलब्ध कराना।
वित्त पोषण -
योजना शत-प्रतिशत राज्य वित्त पोषित है। योजना को आवश्यक होने पर अन्य योजनाओं के साथ डवटेलिंग किया जा सकता है।
मुख्य बिन्दु -
- यह शत प्रतिशत राज्य वित्त पोषित कार्यक्रम है।
- परियोजना के लिए राज्य योजना के अतिरिक्त केन्द्र सरकार एवं बाह्य एजेन्सियों से भी वित्तीय सहायता प्राप्त करने हेतु प्रयास किए गए हैं।
- डांग क्षेत्र में वर्तमान में उपलब्ध आर्थिक, सामाजिक एवं भौतिक आधारभूत सुविधाओं की उपलब्धता तथा क्षेत्र में विकास अध्ययन संस्थान, जयपुर से बैच मार्क सर्वें कराया गया है।
- इस योजना की स्वीकृति एवं क्रियान्वयन हेतु जिला स्तर पर जिला परिषद (ग्रामीण विकास प्रकोष्ठ) नोडल एजेन्सी है। कार्योें का अनुमोदन डांग क्षेत्रीय विकास योजनान्तर्गत जिले की आवंटित बजट की सीमा में प्रस्ताव तैयार कर जिला कलेक्टर की अध्यक्षता में गठित जिला डांग क्षेत्र विकास समिति की बैठक में कार्य/प्रस्तावों का अनुमोदन करवाया जाकर प्रस्ताव ग्रामीण विकास विभाग को प्रेषित किये जाते हैं। इन प्राप्त प्रस्तावों का राज्य स्तर पर परीक्षण कर डांग क्षेत्र विकास मण्डल द्वारा कार्यों का अनुमोदन किया जाता है। इसके बाद जिला कलेक्टर द्वारा प्रशासनिक/वित्तीय स्वीकृति के उपरान्त जिला परिषद (ग्रामीण विकास प्रकोष्ठ) के माध्यम से कार्यों का क्रियान्वयन पंचायती राज संस्थाओं द्वारा करवाया जाता है। विकास कार्यों की स्वीकृति ग्रामीण विकास निर्देशिका 2004 के प्रावधानों के अनुसार सक्षम स्तर पर जारी किये जाने के प्रावधान है।
योजनान्तर्गत कराये जाने वाले कार्य:
योजनान्तर्गत स्थानीय समुदाय के लाभएवं उपयोगिता का कोई भी सार्वजनिक कार्य कराया जा सकता है जिसमें राजकीय विभाग या पंचायती राज संस्था के स्वामित्व वाली सामुदायिक परिसम्पत्तियों/ आधारभूत भौतिक सुविधाओं के सृजन के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास एवं रोजगार के अवसर सृजित हों। योजना के तहत विभिन्न सेक्टर के कार्य स्वीकृत किये जाने के प्रावधान रखे गये। राज्य स्तरीय बोर्ड की बैठकों में कार्यों की वरीयता निर्धारित की जाती है।
डाँग क्षेत्र विकास कार्यक्रम हेतु जारी दिशा निर्देशों के अनुसार यह कार्यक्रम केवल डाँग क्षेत्र के ग्रामीण क्षेत्रों में ही संचालित किया जा सकता है। इस योजना के अन्तर्गत स्थानीय समुदाय के लाभ एवं उपयोगिता का कोई भी सार्वजनिक कार्य करवाया जा सकता है जिसमें सामुदायिक परिसम्पत्तियों/ आधारभूत भौतिक सुविधाओं के सृजन के साथ-साथ क्षेत्रीय विकास व रोजगार के अवसर भी सृजित हों। योजनान्तर्गत करवाये जाने वाले कार्यों में उदाहरणार्थ पेयजल हेतु हैण्डपम्प/ नलकूप/ ट्यूबवैल से संबंधित पेयजल के कार्य, सड़क निर्माण, सम्पर्क सड़क, पुलिया/ रपट निर्माण, शिक्षण संस्थाओं के लिए भवन निर्माण, चिकित्सालय, डिस्पेन्सरी भवन निर्माण, सार्वजनिक शौचालय निर्माण, वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स, पर्यटन स्थलों पर आधारभूत सुविधाएँ जैसे निर्माण कार्यों के अतिरिक्त जीविकोपार्जन से सम्बन्धित परियोजनाऐं भी स्वीकृत की जा सकती हैं।
योजनान्तर्गत निषेधित कार्यः
योजना के तहत किसी भी पंजीकृत संस्था/ट्रस्ट की स्वयं की परिसम्पत्तियाँ बनाने के लिये राशि स्वीकृत नहीं की जा सकती है। योजनान्तर्गत अनुदान एवं ऋण, वाणिज्यिक संगठन/निजी संस्था के लिए सम्पत्ति, वस्तु/सामान की खरीद, भूमि के अधिग्रहण एवं अधिग्रहित भूमि के लिए मुआवजा, व्यक्तिगत लाभ के लिए परिसम्पत्ति, धार्मिक पूजा स्थल एवं आवृतक व्यय हेतु राशि स्वीकृत नहीं की जा सकती है।
बीहड़
ReplyDeleteजी
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